Thursday, July 30, 2015

भईय्ये कहाँ थे अबतक ?? :)

भाजपा की जब सत्ता आजाती है तो इसका अल्पसंख्यक मोर्चा सक्रिय होजाता है और इसके सदस्यों की संख्या भी बढ़ने लगती है (?) सत्ता रहते-रहते ये भरपूर फायदा उठाते हैं (अटल युग का अनुभव) और सत्ता जाते ही ये अन्य 'सेकुलर' दलों के लिए काम करने लगते हैं |

अब अल्पसंख्यक मोर्चा फिर ऊँगली कटा कर शहीद होने का नाटक करने लगा है | #Rampur
 
किन्तु मोदी युग में शायद इनकी दाल न गले | होता यह है कि इनकी 'सक्रियता' से भावनात्मक रूप से जुड़े और सक्रिय कार्यकर्ता आहत अनुभव करता है और अपने आप को पार्टी की गतिविधियों से सीमित कर लेता है | चूँकि पार्टी सत्ता में होती है तो वह भी इन रूठे लोगों पर नजर रख नहीं पाती और संकट काल में उसे नुक्सान होजाता है |

रामपुर में भाजपा इसका अनुभव कर चुकी है जब 2009 लोकसभा चुनाव में सिर्फ साठ हजार मतों पर सिमट गयी थी पार्टी.
अमित शाह जी ने शायद इस बात को भांप लिया था और टिकट बंटवारे में इसका ख्याल रखा और भाजपा को इसका भरपूर लाभ भी मिला |
आशा करता हूँ कि अल्पसंख्यकों के सम्मान को बरक़रार रखते हुए मौका परस्तों को स्पष्ट संकेत दे दिए जाएँ | उनसे पूछा जाये कि "भईय्ये कहाँ थे अबतक ??" :)