Wednesday, January 21, 2015

बन्दर और आदमी का सबक.

आज बंदरों का एक झुण्ड आगया अभी सुबह सुबह |
इन्हें समीप से विचरित करते देखना सम्मोहित करता है |
लेकिन प्रतिदिन तो इनका स्वागत करना भारी पड़ सकता है, रोज आये मेहमान किसे अच्छे लगते हैं भला |
मन हुआ कि कुछ नाश्ता करा दूं लेकिन फिर याद आया कि एक दिन की ये दरियादिली रोज की मुसीबत पैदा कर सकती है |
बंदरों में गजब की याददाश्त होती है, ये घर पहचान लेते हैं और फिर जहाँ से भोजन मिलने की आशा होती है वहां ये उत्पात भी मचाने लगते हैं |
अतः इन्हें यदि कुछ देना ही है तो आबादी के बाहर वाले मंदिर पर ही चढ़ावा के रूप में दिया जाये तो बेहतर |
तो प्यारे बंदरों मेरी ओर से तुम्हे तुम्हारा भोजन मिलेगा किन्तु मिलेगा यथोचित स्थान पर ही |

वैसे पिछले साल दिल्ली वालों ने भी कुछ बंदरों को घर पर बिठा लिया था... लगे नोचने, धरना करने, परेशान कर दिया... पर अबकी बार सबक ले चुके हैं दिल्ली के घरवाले |

समझ तो आप गए ही होंगे ||

Sunday, January 11, 2015

बसपा में भगदड़ |

अन्ना आन्दोलन और मोदी युग के कारण जिस प्रकार की हवा चली है उसमें सबसे जयादा नुकसान हुआ है बसपा का |
बसपा में लगभग भगदड़ सी मच गयी है |
बसपा के पतन की पटकथा तो 2012 से ही लिखी जा रही है किन्तु मायावती मुगालते में रहीं कि लोग सपा से परेशान होकर (anti incumbency) के कारण फिर उन्हें ही सत्ता में लायेंगे |
 किन्तु अब भाजपा का उत्थान देख कर माया के होश उड़े हुए हैं | अब उनसे अपना कुनबा संभाले नहीं संभल रहा |
तेज तर्रार और चुनावी राजनीती करने वाले उनके कार्यकर्त्ता जनता की नब्ज भांप कर भाजपा की ओर रुख कर रहे हैं और जो लोग संगठनिक पदों को संभाल रहे हैं वे पिछली मायावती सरकार में इतना खाए-पिए बैठे हैं कि जनता उनसे बात तक नहीं करना चाहती |

उधर मायावती भी जनता के बीच जाना आज भी अपनी तौहीन समझती हैं और रिमोट से ही संगठन चला रही हैं जबकि उनका बेस वोट मोदी के चमत्कार से अभिभूत है |

बचे खुचे लोग फर्जी आंकड़ों से माया को दिवास्वप्न दिखा रहे हैं |

समझने वाली बात ये है कि "जय भीम" और "जय भारत" का नारा लगाने वाले बसपाइयों के लिए "भारत माता की जय" का नारा कोई परायी चीज नहीं है, और तो और "जय श्री राम" कहना भी उन्हें कहीं से कोई दिक्कत नहीं देता |
जय हिन्द ||