Wednesday, September 30, 2009

छोटा हाथी

एक पुरानी कहावत है कि माले मुफ्त दिले बेरहम यानी मुफ्त की पायी चीज़ों परहम बेरहम होजाते हैं और उनकी क़द्र नही करते । उदहारण स्वरुप , अगर आप बाज़ार मेंकोई भिवस्तु खरीदते हैं तो हर तरह से उसके दाम का पता लगाते हैं और यह प्रयत्न करतेहैं कि जहाँ से भिमिले लेकिन दो पैसे कम में मिल जाए तो अच्छा । मगर नगर पालिका परिषद् रामपुर में तो उलटी गंगा ही बह रही है। चीज़ें बाजार मूल्य से कहीं ऊँची दरों पर खरीदी जाती है और पता नही कैसे और क्यों वहां बैठे जिम्मेदार लोग इस बात को नज़र-अंदाज़ किए बैठे हैं।
हद तो तब होती है जब वाहन जैसी वस्तुओं पर भी बाजार भाव से ज्यादा का मूल्य स्वीकृत कर लियाजाता है । पहले मुझे विश्वास नही हुआ लेकिन जब मैंने बाजार भाव से ऊँची खरीदारी करने के मामले में काम करना शुरू किया तो समझ में आया कि दर-असल टेंडर प्रक्रिया में ही जानबूझ कर ऐसे झोल निकलेजाते हैं कि भाव ज्यादा से ज्यादा आने का रास्ता बने। नियमानुसार टेंडर निकाले जाने से पहले व्यय अनुमान लिया जाता है और जितने की वस्तुबाजार में प्रचलित मूल्य की होती है उसी के आधार पर उसमें धरोहर राशि रखीजाती है इस प्रकार से यह सुनिश्चित हो जाता है की अनाप शनाप भाव नही आएंगे और उचित भाव पर खरीदारी कर ली जायेगी । जैसे यदि कोई वस्तु एक लाख रूपये की है और दो प्रतिशत से उसकी धरोहर राशि रखी जानी है तो दो हजार रुपये की राशिः रख कर यह सुनिश्चित किया जाता है की कोई भी निविदा दाता एक लाख से ऊपर का भाव नही देगा । लेकिन हाल ही में Tata ACE (जिसे आम बोलचाल में छोटा हाथी कहा जाता है ) की खरीदारी हेतु हुए टेंडर का अध्ययन करने पर समझ में आया ये सारा खेल कैसे खेला जाता है । जनाब चार छोटा हाथी खरीदना था। निविदा में धरोहर राशिः रखी गई पुरे चालीस हजार रूपये यानी रेट देने वालों को मौका दिया गया की वे चार छोटा हाथी नगर पालिका परिषद् रामपुर को बीस लाख तक में दे सकें यांनी एक छोटा हाथी पाँच लाख का। हमने अपनी आपत्ति दर्ज कराइ और टेंडर को निरस्त करने के लिए लिखा । खैर टेंडर पर खरीदारी तो किसी अन्य कारन से नही हुई लेकिन जानते हैं डीलर ने उसपर रेट क्या दिया था .... जी सुना है पाँच लाख के आसपास। ये वही डीलर था जिसने व्यक्तिगत तौर पर मुझे ईमेल करके रेट दिया था दो लाख पिच्चासी हजार और पाँच हजार की छूट अलग से ...
चलो ये भ्रष्टाचार तो हमने रोक लिया लेकिन जो हो चुका है उसका क्या होगा ... जी हाँ पिछले मार्च में इसी तरह से दो ट्रक ख़रीदे गए हैं जिसे अगर आप खरीदते तो छः सात लाख में मिलजाता मगर पालिका ने इसे ख़रीदा है .....(?????) ..... अब सब मैं ही बताऊँ या कुछ आप भी करेंगे ... सुचना के अधिकार का प्रयोग करें जनाब...
जय भीम! जय भारत !