Saturday, August 18, 2012

गोपाल कांडा नारायण दत्त तिवारी और मदेरणा की नियति ...

जब भी मैं किसी गोपाल कांडा, नारायण दत्त तिवारी या मदेरणा के बारे में विष-वमन देखता हूँ तो एक पक्षीय  ही नजर आता है. क्या इसमें गीतिका शर्मा, उज्ज्वला शर्मा या भंवरी देवी का कोई रोल नहीं ?

मर्यादा और रख-रखाव को तो इन सब ने जोड़ियों में ही तार-तार किया है. इनमें से कोई भी भोला नहीं था. इनमें से एक कामयाब पुरुष था तो दूसरी महत्वाकांक्षी महिला थी जो सीढ़ी दर सीढ़ी ऊंचा जाना चाहती थीं।
इनमें से कोई भी महिला ऐसी नहीं थी जो इन पुरुषों का बायो-डाटा नहीं जानती हो। सभी जानती थीं की ये शादी शुदा हैं और सिर्फ उनका उपभोग करेंगे। पहली बार जब इन्हें "इनडीसेंट प्रोपोजल" मिला था तब इन्होने क्या चुना .....?..? 

नैतिकता और कामयाबी में से इन्होने एक को चुना।