Friday, July 20, 2012

दो पहिये पर तीन

कोई कानून कब बनाया जाता है ? "जब उसकी मांग उठने लगे"! कोई कानून कब संशोधित किया जाता है ? "जब उसका बार बार उल्लंघन होने लगे"!

कानून तोडना अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन जो लोग कानून बनाने अथवा उसको संशोधित करने का अधिकार रखते हैं उन तक शायद बात पहुँचाने के लिए उसका टूटना या तोडा जाना एक नियति है.

मैं मोटर वाहन कानून में एक ऐसे ही प्रावधान की बात कर रहा हूँ और वह है मोटर साइकल पर तीन सवारियों के बैठने का चलन। जब भी सड़क पर चेकिंग की जाती है तो मैं देखता हूँ की तीन सवारियों के बैठने के विरुद्ध चालान काटने की संख्या अन्य के अपेक्षा ज्यादा होती है. मेरा मानना है कि बदलते परिवेश में जबकि लोगों का बाहर निकल कर बाजार हाट में जाना बढ़ गया है ऐसे में वे एक ही सवारी पर सुविधानुसार यदि तीन बैठा कर चल सकते हैं तो उन्हें इसकी छूट होनी चाहिए। वैसे भी आजकल दो पहिया वाहन 100 सी सी से लेकर 350 सी सी तक आरहे हैं अतः तीन सवारियों को बैठाने में व्यावहारिक कठिनाई नहीं आती है।


मैं भी अभी किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा हूँ लेकिन जनभावना और आवश्यकता को देखते हुए मैंने सोचा कि इस विषय को सुधिजन के साथ शेयर किया जाये। 
जब भी जनता का चालान तीन सवारियों पर कटता है तो उन्हें चुभता है उनका तर्क है कि  जब कार वाले बस वाले सीटों की संख्या से ज्यादा सवारियां बैठा सकते हैं तो फिर दो पहिया वाहन वालों को ही क्यों परेशान किया जाता है। 

वैसे अगर आप किसी थाने  के पास रहते हैं तो अकसर ये देखेंगे कि छोटे-मोटे आपराधिक प्रवृत्ति के हिस्ट्री शीटर को उसके घर से पकड़ के लाने के लिए स्वयं पुलिस वाले भी अपनी मोटर साइकल से ही जाते हैं और उसे घर से उठा कर मोटर साइकिल पर बीच में बैठा कर लाते हैं। यानी नियम चाहे जो कहता हो सुविधा जनक स्थिति यही है की तीन सवारियां बैठाई जा सकती हैं।

आपके सुझाव का आकांक्षी :)


विपरीत विश्व प्रवाह के निज नाव जा सकती नहीं,
कल काम में आती नहीं आज की बातें कई।