Monday, December 23, 2013

समझ तो वह भी गए थे !

शुरू शुरू की बात है जब हमने रामपुर में #आप की अलख जलाई ही थी तो अपनी गतिविधियों को जनता तक पहुचाने के लिए अख़बारों को विज्ञप्ति जारी करते थे. 

हमने पाया कि एक ख़ास अखबार हमारी गतिविधियों को नही छापता था. 

मेरे कुछ साथियों ने कहा कि क्यों न चल कर उनसे बात की जाये.
तब मैंने सुझाया था कि हमें धैर्य धरना चाहिए और अपनी गतिविधियों को बढ़ाये रखना चाहिए और जो बाक़ी के अखबार हमें छाप रहे हैं उतने में ही संतोष करना चाहिए और जो नही छाप रहे हैं उन्हें प्रेस विज्ञप्ति भेजना रोक देना चाहिए.

हमने ऐसा ही किया.

कुछ दिनों बाद उसी अखबार से एक उलाहना भरा फ़ोन आया कि आप लोग हमें विज्ञप्ति क्यों नहीं भेजते ...??
मैंने विनम्रता से उत्तर दिया "भाई साहेब नए लोग हैं हम लोग, भूल वश रह जाता होगा, कल से ही भिजवाना शुरू कर देंगे.

"समझ तो वह भी गए थे"

Saturday, September 14, 2013

हिंदी दिवस.

‎*** " हिंदी दिवस "***

१४ सितम्बर १९४९,को हमारे देश कि संविधान सभा ने हिंदी भाषा को देश कि औपचारिक भाषा का दर्जा प्रदान किया और १४ सितम्बर को " हिंदी दिवस "के रूप में मनाने की घोषणा की | हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में सन १९५० में अनुच्छेद ३४३ के अंतर्गत राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया |

हिंदी भाषा प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है,इस भाषा की उत्पत्ति ही इस बात का प्रमाण है | हिंदी मुख्यतः आर्यों और पारसियों की देन है | हिंदी के अधिकतम शब्द संस्कृत,अरबी और फारसी भाषा से लिए गये है और यह भाषा अवधी,ब्रज आदि स्थानीय भाषाओँ का परिवर्धन भी है | इसीलिए तो इस भाषा को "सम्बन्ध भाषा" के नाम से भी जाना जाता है | हिंदी (खड़ी बोली) की पहली कविता प्रख्यात कवी "अमीर खुसरों" ने लिखी थी |
स्वतंत्रता संग्राम के समय तो हिंदी का प्रयोग अपने चरम पर था | भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, हरिशंकर परसाई, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन,सुभद्रा कुमारी चौहान जैसे लेखकों और कवियों ने अपने शब्दों से जन मानस के ह्रदय में स्वतंत्रता की अलख जलाकर इस संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है | महात्मा गाँधी जी के स्वदेशी आन्दोलन में तो अंग्रेजी भाषा का पूर्ण रूप से त्याग कर हिंदी भाषा को अपनाया गया |
हिंदी भाषा का स्वरुप ही अलग है, यह भाषा अत्यंत मीठी और खुले प्रकृति की भाषा है | हिंदी अपने अन्दर हर भाषा को अन्तर्निहित कर लेती है और अपने इसी गुण के कारण ही वर्तमान में विश्व की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है | यह भाषा केवल एक देश तक सीमित नही है, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, सिंगापुर जैसे कई देशों तक इसका विस्तार है | हिंदी का सरल स्वाभाव इसकी लोकप्रियता को बढ़ा रहा है | कुछ बाधाएँ आयी है इसके मार्ग में,पर हमें पूर्ण विश्वास है कि हिंदी हमारे दिल में यूं ही समाकर हमारी भावनाओं को जन-जन तक पहुंचती रहेगी और राष्ट्रभाषा के रूप में हमे गौरान्वित करती रहेगी |

Sunday, August 25, 2013

एक फेसबुक साथी से साभार...!

आदरणीय,भाजपा के नेतृत्वबृंद 
विगत दिनों जब मोदीजी ओडिशा आए,श्रीजगन्नाथजी के दर्शन के बाद जब उन्होंने भाजपा ओडिशा इकाई के वरिष्ठ नेताओं की पूरी में हुवी एक बैठक को संबोधित किया तोउन्होने कार्यकर्ताओं को संगठन बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण गुरु मंत्र दिया था ! हालाँकि उस गुरु मंत्र को सभी वरिष्ठ नेता ओडिशा में जहाँ भी बैठक में जाते हैं, मिसालके तौर पर कार्यकर्ताओं के सामने बोलना नहीं भूलते! ओडिशा कार्यकर्ताओं में जान फूंकनेवाला मोदीजी का गुरुमंत्र क्या था? उन्होंने एक सीधा सा गणित कार्यकर्ताओं के सामने रखा और वो ये था कि,हम सब यहाँ समुद्र के पास बैठे हैं(पुरी समुद्र तट के एक होटल के सभागार में बैठक हो रही थी) और बहुत हवा चल रही है,यहाँ हवा कि कोई कमी नहीं है,किन्तु यदि आपकी गाड़ी के चक्कों में हवा नहीं है तो क्या इतने पैमाने में हवा होते हुवे भी,हमारे चारों और हवा होते हुवे भी, क्या अपने आप हमारी गाड़ी के चक्कों में हवा भर जाएगी? नहीं ऐसा नहीं हो सकता,उसके लिए हवा भरने के पम्प की जरुरत है! बस इस एक गुरुमंत्र को जिन्हें समझना चाहिए था वो समझ गए और जो नहीं समझे वो फिर कभी समझ भी नहीं सकते! भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं से,वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से मेरा ये विनम्र अनुरोध है कि वे सभी पहले मोदीजी द्वारा जो मंत्र दिया गया है उसकी गहराई में जाएँ,और कथनी और करनी में समन्वय बनायें तब जाकर लोगों के पास अपना सन्देश लेकर पहुंचाएं! गुटबाजी से उपर उठकर सबको अपना बनाने के भाव अपने में समाने के भाव,और सबसे ज्यादा जो जरुरी है वो है विनम्रता कि भाषा,हमारे भीतर जो विगत दिनों बीजेपी के शासन में मंत्री थे,या किसी निगम के सभापति थे या फिर किसी न किसी बड़े पद पर थे क्या आज भी उनकी बोल चाल कि भाषा में विनम्रता अपनापन,भाईचारा,अहंकार विहीन शब्द ,अकड़ विहीन,आचरण दिखाई दे रहा है? नहीं मुझे तो नहीं लग रहा! प्रांतीय राजनीती में पंचायत,म्युनिसिपेलिटी के चुनाओं का भी असर होता है,किन्तु क्या हम अभी तक जहाँ जहाँ गए वहां के पुराने तथा स्वाभिमानी कार्यकर्ताओं से मिले? हम चाहें तो दस बीस मुख्य पुराने कार्यकर्ताओं से उनके प्रतिष्ठानों पे जाकर,उनके निवाश स्थान पर जाकर मिल सकते हैं! आज भी हमारे ऐसे सैकड़ों कार्यकर्ता हैं जिनकी वहां के स्थानीय लोगों पर पकड़ है,सम्मान है और वो चाहते हैं कि भाजपा शासन में आनी चाहिए,किन्तु उनका अपना स्वाभिमान है,वजूद है,कांग्रेस संस्कृति की तरह वो आपके पीछे पीछे भागनेवाले नहीं हैं ,किन्तु..हाँ हम इतना जरुर करते हैं कि उसको सूचना दे देते हैं और मैसेज द्वारा उसको बोलते हैं कि तुम हमारे पास आवो, एक कमरे में बैठ कर सिर्फ कुछ एक नेताओं से विचार विमर्श कर हम अपनी रन निति बना लेवें वो बेहतर है,या विभिन्न सहरों में गांवों में अनेक कमरों में बैठे असंख्य पुराने कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श कर उनको साथ लेकर रन निति बनावें, कौन सी ठीक रहेगी? बस यही है वो पम्प ,और इस प्रकार का काम करनेवाले नेता को,कार्यकर्ता को ही पम्प की भूमिका में अवातिर्ण होना होगा,क्यों कि पहली बार जब हमारी पार्टी या व्यक्ति सत्तासीन हुवा था तब वह अटलजी जैसे अंतररास्ट्रीय और तपे तपाये नेता की हवा,आंधी पर सवार होकर विधानसभा और संसद तक पहुंचा था, हवा के बहाव में बहकर सत्तासीन हुवे थे, वो पहला अवसर था,हम तथा हमारे बारे में ,हमारे मंत्रियों के बारे में उनकी कार्य कुसलता या उनके स्वभाव के बारे में न तो कोई आम कार्यकर्ता जानता था और ना ही आम जनता ही जानती थी,किन्तु आज वो हालात नहीं हैं! उस समय में और इस समय में सिर्फ एक ही समानता है कि उस समय देश अटलजी को प्रधानमंत्री बनाना चाहता था ,और आज देश मोदीजी को प्रधान मंत्री बनाना चाहता है,आज जो हवा चल रही है उसके पीछे उनके खुद के प्रचार के माध्यम ,उनकी खुद की सफलता, लोगों में एक विश्वाश बना है जो संसदीय चुनावों में हमें तब ही देखने को मिलेगा जब हम उसी अनुकूलता से कार्य करेंगे,वरना वो पुर्व मंत्री और पुर्व पदों कि अकड़ और अहंकार से तो आप आगामी पौर पालिका,पौर परिषद् के चुनाओं में भी सफल हो सकेंगे इसमें मुझे तो संदेह नजर आता है!एक बात को हमें सदा याद रखना चाहिए कि पार्टी को नए लोगों से जुड़ना चाहिए,नए खून और नवयुवकों को उनकी संख्या को बढ़ाना अति आवस्यक है,किन्तु ये सब पुराने कार्यकर्ताओं की अवहेलना की सर्त पर नहीं होना चाहिए,वरना हमारी पार्टी में अनुभवी नेताओं का अकाल पड़ जायेगा! जय हो भारत माता की जय,बन्दे मातरम!

(उक्त लेख एक फेसबुक साथी ने मेरे वाल पर लिखा, मन को छूने वाला लगा तो आप तक भी पहुँचाने को जी चाहा)

Tuesday, August 13, 2013

थोडा झटका तो दीजिये..

देश को सभी बदलना चाहते हैं, वर्तमान से कोई संतुष्ट नहीं है. लेकिन बदलाव का स्वरुप क्या हो इस पर सहमती नहीं बनने की वजह से ही घूम फिर कर वही लूटेरे आजाते हैं. 
पहले तो यह तय करना पड़ेगा कि भ्रष्टाचार ही प्रथम वह राक्षस है जिससे निजात पाना है. बाकी समस्याएं अपने आप ख़तम होजायेंगी.
चाहे अलगाव वाद हो या वर्चस्ववाद हो या क्षेत्रवाद , नक्सलवाद या अतिवाद ये सभी मूल रूप से भ्रष्टाचार के कोख से ही जन्म लेते हैं.
विचार करें  और भ्रष्टाचार को सबसे पहले टारगेट करें.
आप जिस भी पार्टी के समर्थक हो उनसे भ्रष्टाचार निवारण पर उनके विचार और उनके आचरण पर सवाल करिए और उत्तर मांगिये कि उन्होंने इस पर क्या किया.
जन लोकपाल, काला धन वापसी, चुनाव सुधार और राईट टू  रिजेक्ट, राईट टू रिकॉल और सूचना का अधिकार आदि को ये दल क्यों नहीं स्वीकार करते हैं.
हम नहीं कहते कि आप अपनी पार्टी से बगावत करिए लेकिन पूछ तो लीजिये कि अगर संसद में वे अपनी हितों पर सत्ताधारी पार्टी के साथ ही दिखेंगे तो फिर हम बदलाव लाने के लिए उन्हें ही क्यों चुनें??
अगर आपके वोट से कोई बदलाव नहीं आ पा रहा है तो अपना वोट बदल दीजिये इस बार.
थोडा झटका तो दीजिये.

Monday, June 3, 2013

Why To Join #AAP. My Priorities and My Party.

We are the largest democratic country and it reflects in number of parties registered with election commission of India.
Apart from the giant Congress and somewhat bigger BJP we have many other political parties/powers such as DMK, AIDMK, Telugu Desham, CPI, Samajwadi Party, BSP, National Conference, Assam Gan Parishad and so on...

The question is how people choose to be a part of any political party.
The answer is PRIORITIES.
Yes, it is the priorities which makes a flow of people towards a political party.
BSP concentrated on socially and historically deprived section of people and it succeeded. BJP came with an idea and agenda of Nationalism and it clicked.
Aam Aadmi Party puts the theory of Zero Tolerance on Corruption.
So all who has come to the conclusion that it is the corruption which is the root cause of all most all the problems are joining, supporting #AAP.

Sunday, February 10, 2013

"भ्रष्टाचार" का मुद्दा नेपथ्य में जाने लगा है.


ये अचानक ही हिन्दू-मुस्लिम वाद कुछ बढ़ सा नहीं गया है ??

चुनाव का माहोल बनते ही "भ्रष्टाचार" का मुद्दा नेपथ्य में जाने लगा है.

कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही साम्प्रदायिकता सूट करती है. जबकि "भ्रष्टाचार" पर दोनों की सांसें अटकती हैं.
ये देखना है कि भ्रष्टाचार-विरोधी जज्बा और माहोल नेपथ्य में न जाने पायें.
बाकि #AAP लोग समझदार हैं :)