Monday, December 23, 2013

समझ तो वह भी गए थे !

शुरू शुरू की बात है जब हमने रामपुर में #आप की अलख जलाई ही थी तो अपनी गतिविधियों को जनता तक पहुचाने के लिए अख़बारों को विज्ञप्ति जारी करते थे. 

हमने पाया कि एक ख़ास अखबार हमारी गतिविधियों को नही छापता था. 

मेरे कुछ साथियों ने कहा कि क्यों न चल कर उनसे बात की जाये.
तब मैंने सुझाया था कि हमें धैर्य धरना चाहिए और अपनी गतिविधियों को बढ़ाये रखना चाहिए और जो बाक़ी के अखबार हमें छाप रहे हैं उतने में ही संतोष करना चाहिए और जो नही छाप रहे हैं उन्हें प्रेस विज्ञप्ति भेजना रोक देना चाहिए.

हमने ऐसा ही किया.

कुछ दिनों बाद उसी अखबार से एक उलाहना भरा फ़ोन आया कि आप लोग हमें विज्ञप्ति क्यों नहीं भेजते ...??
मैंने विनम्रता से उत्तर दिया "भाई साहेब नए लोग हैं हम लोग, भूल वश रह जाता होगा, कल से ही भिजवाना शुरू कर देंगे.

"समझ तो वह भी गए थे"