Saturday, March 29, 2014

 असफल नहीं हुआ और न ही भटका. उसका प्राथमिक उद्देश्य पूरा हुआ था कि सत्ता इलीट क्लास से निकल कर गाँव और जमीन से निकले लोगों के हाथ में आगई. लालू , पासवान, आदि जब इस आन्दोलन से निकले थे तब वे मासूम ही थे... हाँ बाद में उन्होंने अच्छा उदहारण नहीं पेश किया और वे वैसे ही होगये जिनके खिलाफ खड़े हुए थे. वही परिवारवाद के पोषक और पूंजीवाद के और बड़े समर्थक बन गए.  

राजनीती तो हम दुसरे दलों में भी रह कर ही सकते थे न ?

#AAP के संगठन में आन्दोलनकारी लोगों की अपेक्षा जब से राजनैतिक लोगों की संख्या बढ़ी है तब से अशुभ संकेत मिलने शुरू होगये हैं...

एक आन्दोलन दम तोड़ रहा है और एक राजनीती फल फुल रही है ..

पर राजनीती तो हम दुसरे दलों में भी रह कर ही सकते थे न ?