Sunday, September 20, 2009

एमर्जेंट है...

आप घर बनवाते हैं तो प्रवेश के लिए दरवाजा भी देते हैं और भले लोग घर आने के लिए दरवाजे का ही प्रयोग करते हैं ...हाँ कुछ लोग खिड़की से भी आजाते हैं लेकिन वह लोग या तो चोर होते हैं या असामाजिक होते हैं। लेकिन खिड़की कभी कभी इमर्जेंसी एंट्री या एग्जिट का भी काम करती है। ऐसी ही कुछ परिस्थितियों के लिए कुछ स्थानों पैर वैधानिक जटिलताओ से बचने के लिए एमेर्जेंट का प्राविधान किया जाता है जैसे कि नगर पालिकाओ में छोटी मोटी जरूरतों या खरीदारियों के लिए एमेर्जेंट आइटम्स कि खरीदारी हो सकती है । मूल भावना तो यही होती है कि जनता का काम नही रुके चाहे नियमों में थोडी ढील देनी पड़े (यानी खिड़की खोलनी पड़े ) ।
जानते हैं नगर पालिका परिषद् रामपुर में इस खिड़की का इस्तमाल भी खूब हुआ है ... पता लगा है कि एमेर्जेंट आइटम्स के नाम पर ऐसे ऐसे काम हुए हैं जो आराम से भी किए जा सकते थे यही नही इसी इमरजेंसी के नाम पर एक कामचलाऊ ई ओ से साठ लाख रुपयों कि निकासी करा ली गई।
वैसे सभासदों द्वारा इसका विरोध किया गया था और इसकी जांच चल रही है । मगर हम जैसे लोगों के लिए तो यह अच्छी स्थिति नही है क्योंकि अगर जांच में पालिका दोषी निकली तो लोग हमारी सरकार को बदनाम करेंगे औरभूल जायेंगे कि आख़िर ये मुद्दा नेक नियति से उठाया भी बहुजन समाज पार्टी के लोगों ने ही था। सुना है कि प्रभावित होने वाले लोग इसे पार्टी विरोधी गतिविधि करार देकर हमें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहते हैं । ...हम क्या करें हमारे पास तो कोई इमर्जेंसी का रास्ता भी नही है। हाँ अगर हमने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया तो उनके लिए तो कई रास्ते हैं और नही तो वे अपने पुराने घर कि खिड़की का रास्ता पकड़ लेंगे... जय भीम ! जय भारत!!