कोई कानून कब बनाया जाता है ? "जब उसकी मांग उठने लगे"! कोई कानून कब संशोधित किया जाता है ? "जब उसका बार बार उल्लंघन होने लगे"!
कानून तोडना अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन जो लोग कानून बनाने अथवा उसको संशोधित करने का अधिकार रखते हैं उन तक शायद बात पहुँचाने के लिए उसका टूटना या तोडा जाना एक नियति है.
मैं मोटर वाहन कानून में एक ऐसे ही प्रावधान की बात कर रहा हूँ और वह है मोटर साइकल पर तीन सवारियों के बैठने का चलन। जब भी सड़क पर चेकिंग की जाती है तो मैं देखता हूँ की तीन सवारियों के बैठने के विरुद्ध चालान काटने की संख्या अन्य के अपेक्षा ज्यादा होती है. मेरा मानना है कि बदलते परिवेश में जबकि लोगों का बाहर निकल कर बाजार हाट में जाना बढ़ गया है ऐसे में वे एक ही सवारी पर सुविधानुसार यदि तीन बैठा कर चल सकते हैं तो उन्हें इसकी छूट होनी चाहिए। वैसे भी आजकल दो पहिया वाहन 100 सी सी से लेकर 350 सी सी तक आरहे हैं अतः तीन सवारियों को बैठाने में व्यावहारिक कठिनाई नहीं आती है।
मैं भी अभी किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा हूँ लेकिन जनभावना और आवश्यकता को देखते हुए मैंने सोचा कि इस विषय को सुधिजन के साथ शेयर किया जाये।
जब भी जनता का चालान तीन सवारियों पर कटता है तो उन्हें चुभता है उनका तर्क है कि जब कार वाले बस वाले सीटों की संख्या से ज्यादा सवारियां बैठा सकते हैं तो फिर दो पहिया वाहन वालों को ही क्यों परेशान किया जाता है।
वैसे अगर आप किसी थाने के पास रहते हैं तो अकसर ये देखेंगे कि छोटे-मोटे आपराधिक प्रवृत्ति के हिस्ट्री शीटर को उसके घर से पकड़ के लाने के लिए स्वयं पुलिस वाले भी अपनी मोटर साइकल से ही जाते हैं और उसे घर से उठा कर मोटर साइकिल पर बीच में बैठा कर लाते हैं। यानी नियम चाहे जो कहता हो सुविधा जनक स्थिति यही है की तीन सवारियां बैठाई जा सकती हैं।
आपके सुझाव का आकांक्षी :)
विपरीत विश्व प्रवाह के निज नाव जा सकती नहीं,
कल काम में आती नहीं आज की बातें कई।
विपरीत विश्व प्रवाह के निज नाव जा सकती नहीं,
कल काम में आती नहीं आज की बातें कई।
As per ur blog u r absolutely right, but we r helpless
ReplyDeleteजहां तक सवारी कि संख्या का सवाल है तो उसमें दो तरह की समस्या है एक यह की परिवहन विभाग को दो यात्री के लिए ही कर दिया जाता है और कुछ व्यवहारिक समस्या है वो यह की दुर्घटना आदि के समय में बीच वाले व्यक्ति को बचने और अपना बचाव करने में ज्यादा समस्या होगी| तथा बिना अनुमति तीन सवारी चलने पर दुर्घटना के बाद बीमा कवरेज लेने में भी समस्या होगी| अत: बीमा, परिवहन विभाग और वाहन निर्माता तीनों की सहमती के बिना और वाहन में थोड़ा परिवर्तन किये बगैर जानलेवा और फजीहत भरा फैसला होगा|
ReplyDeleteलेख के माध्यम से मेरा मकसद भी एक सार्थक बहस को जन्म देना ही है. आपकी टिप्पडी प्रकाश दिखाने का काम करेगी.
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